
“महाराष्ट्र सरकार कहा ले जा रही है जनता को , जनता मे प्रचड असंतोष” आजकल सरकारे जनता के लिये सामाजिक कार्य कर रही या,पुजींवादीयोके लीये व्यापार देने का काम कर रही है।? नागरिकशास्त्र के नूसार नागरिकोंके अधिकार दूर कर। अर्थशास्त्रीय नियम लगाकर कर के स्वरुप मे जनता का शोषण करना चाहती क्या सरकारे। ? 15 जूलै से दौ पैया वाहनों(मोटरसायकल).से टोल टेक्स वसुला जायेगा। यह तानाशाही,के लक्षण तो नही?भविष्य मे अपने ही खेतो मे जाने वाले रास्ते का किसान से टोल तो वसुल करना नही चाहती सरकार।?भविष्य मे कुदरती पाणी पर जैसा कर लगाकर वसुला जाता है। वैसा ही प्राणवायु (ओक्सिजन)पर टेक्स ना लगे तो कमा लीया। आजकल जनता समंजस मे जी रही है। टेक्स भरे या परिवार का भरण पोषण,कमाई का जरीया नही। हातो को काम नही। सरकार को जनता की और ध्यान देने की जरुरत ही नही लगती। भलेही खुद के पगार बढा लीये। चांदीके थालीमे जनताके पैसे से पांच हजार की थाली खुद,और सहकारी के लिये। पर गरीब जनता टेक्स भरे। आजकल जनता असमंजस मे है। यह सरकार है या व्यापारी। ?जनता भविष्य मे ईस निर्णय के विरुद्ध आवाज जरुर उठायेगी। ऐसी खबर मिल रही है। सरकार को अपना निर्णय बदलना पडेगा।?